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मेरी भावनायें... 2018-08-08T18:50:17
Hangman's Design Studio

मेरी भावनायें...

तपस्या






कलयुग में सबने सीख दी - "सीता बनो"
यह सुनकर 
स्त्री या तो मूक चित्र हो गई 
या फिर विरोध किया 
"क्यूँ बनूँ सीता ?
राम होकर पुरुष दिखाये !"
.... 
एक उथलपुथल ही रहा यह सुनने में 
!!!
आज इस सीख का गूढ़ रहस्य समझ आया 
... 
सीता महल में लौट सकती थीं 
अपने अधिकारों की माँग कर सकती थीं 
पर स्वर्ण आभूषणों को त्याग कर 
फूलों के गहने पहन 
उन्होंने अपने स्वाभिमान का मान रखा 
मातृत्व की गंभीरता लिए 
लव-कुश का पालन किया  ... 
प्रश्नों के विरोध में 
उन्होंने जीतेजी 
धरती में समाना स्वीकार किया 
रानी कहलाने का कोई लोभ उनके भीतर नहीं था !

... 
सीता होना आसान नहीं 
आर्थिक मोह सेअलग हौवा आसान नहीं 
बच्चों के लिए ज़िन्दगी न्योछावर करना आसान नहीं 
एक कठिन तपस्या है !

यदि सच में स्वाभिमान है 
तो सीता बनो 
प्रेम,त्याग,परीक्षा,कर्तव्य 
... इनका अनुसरण करो 
पर अति का विरोध करो !!



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