मेरी भावनायें... 2016-09-01T22:32:25 2018-08-08T18:50:17 Hangman's Design Studio
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मेरी भावनायें...
मेरी भावनायें...
शोर से अधिक एकांत का असर होता है, शोर में एकांत नहीं सुनाई देता -पर एकांत मे काल,शोर,रिश्ते,प्रेम, दुश्मनी,मित्रता, लोभ,क्रोध, बेईमानी,चालाकी… सबके अस्तित्व मुखर हो सत्य कहते हैं ! शोर में मन जिन तत्वों को अस्वीकार करता है - एकांत में स्वीकार करना ही होता है
मेरे एहसास इस मंदिर मे अंकित हैं...जीवन के हर सत्य को मैंने इसमे स्थापित करने की कोशिश की है। जब भी आपके एहसास दम तोड़ने लगे तो मेरे इस मंदिर मे आपके एहसासों को जीवन मिले, यही मेरा अथक प्रयास है...मेरी कामयाबी आपकी आलोचना समालोचना मे ही निहित है...आपके हर सुझाव, मेरा मार्ग दर्शन करेंगे...इसलिए इस मंदिर मे आकर जो भी कहना आप उचित समझें, कहें...ताकि मेरे शब्दों को नए आयाम, नए अर्थ मिल सकें ...
मेरे हिस्से की धूप
कोशिश की थी कभी कभी
पर मैं एहसासों की समीक्षा नहीं कर पाई
शब्दों की गंगा जब जब मेरे आगे आई
मैं एक बूंद में समाहित हो गई।
शहर अलग
किनारे अलग
तो मैंने नाम से दोस्ती की
जिस जिस की कलम से गंगा अवतरित हुई
मैं समाधिस्थ हो गई !
आज आलोड़ित गंगा
"मेरे हिस्से की धूप" बन
सरस दरबारी के नाम से
मेरे आगे बह रही है
और कह रही है -
"यह हथेलियाँ ... सच्ची हमदर्द होती हैं
बिना कहे हर बात जान लेती हैं "
सरस दरबारी की कलम से निकली गंगा से अवतरित ये एहसास बहुत कुछ कहेंगे आपसे ...
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रेडग्रैब = http://bit.ly/2bpncri
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लेबल: सर्वाधिकार सुरक्षित
कलयुग में सबने सीख दी - "सीता बनो"
यह सुनकर
स्त्री या तो मूक चित्र हो गई
या फिर विरोध किया
"क्यूँ बनूँ सीता ?
राम होकर पुरुष दिखाये !"
....
एक उथलपुथल ही रहा यह सुनने में
!!!
आज इस सीख का गूढ़ रहस्य समझ आया
...
सीता महल में लौट सकती थीं
अपने अधिकारों की माँग कर सकती थीं
पर स्वर्ण आभूषणों को त्याग कर
फूलों के गहने पहन
उन्होंने अपने स्वाभिमान का मान रखा
मातृत्व की गंभीरता लिए
लव-कुश का पालन किया ...
प्रश्नों के विरोध में
उन्होंने जीतेजी
धरती में समाना स्वीकार किया
रानी कहलाने का कोई लोभ उनके भीतर नहीं था !
...
सीता होना आसान नहीं
आर्थिक मोह सेअलग हौवा आसान नहीं
बच्चों के लिए ज़िन्दगी न्योछावर करना आसान नहीं
एक कठिन तपस्या है !
यदि सच में स्वाभिमान है
तो सीता बनो
प्रेम,त्याग,परीक्षा,कर्तव्य
... इनका अनुसरण करो
पर अति का विरोध करो !!
तपस्या
कलयुग में सबने सीख दी - "सीता बनो"
यह सुनकर
स्त्री या तो मूक चित्र हो गई
या फिर विरोध किया
"क्यूँ बनूँ सीता ?
राम होकर पुरुष दिखाये !"
....
एक उथलपुथल ही रहा यह सुनने में
!!!
आज इस सीख का गूढ़ रहस्य समझ आया
...
सीता महल में लौट सकती थीं
अपने अधिकारों की माँग कर सकती थीं
पर स्वर्ण आभूषणों को त्याग कर
फूलों के गहने पहन
उन्होंने अपने स्वाभिमान का मान रखा
मातृत्व की गंभीरता लिए
लव-कुश का पालन किया ...
प्रश्नों के विरोध में
उन्होंने जीतेजी
धरती में समाना स्वीकार किया
रानी कहलाने का कोई लोभ उनके भीतर नहीं था !
...
सीता होना आसान नहीं
आर्थिक मोह सेअलग हौवा आसान नहीं
बच्चों के लिए ज़िन्दगी न्योछावर करना आसान नहीं
एक कठिन तपस्या है !
यदि सच में स्वाभिमान है
तो सीता बनो
प्रेम,त्याग,परीक्षा,कर्तव्य
... इनका अनुसरण करो
पर अति का विरोध करो !!
तपस्या
कलयुग में सबने सीख दी - "सीता बनो"
यह सुनकर
स्त्री या तो मूक चित्र हो गई
या फिर विरोध किया
"क्यूँ बनूँ सीता ?
राम होकर पुरुष दिखाये !"
....
एक उथलपुथल ही रहा यह सुनने में
!!!
आज इस सीख का गूढ़ रहस्य समझ आया
...
सीता महल में लौट सकती थीं
अपने अधिकारों की माँग कर सकती थीं
पर स्वर्ण आभूषणों को त्याग कर
फूलों के गहने पहन
उन्होंने अपने स्वाभिमान का मान रखा
मातृत्व की गंभीरता लिए
लव-कुश का पालन किया ...
प्रश्नों के विरोध में
उन्होंने जीतेजी
धरती में समाना स्वीकार किया
रानी कहलाने का कोई लोभ उनके भीतर नहीं था !
...
सीता होना आसान नहीं
आर्थिक मोह सेअलग हौवा आसान नहीं
बच्चों के लिए ज़िन्दगी न्योछावर करना आसान नहीं
एक कठिन तपस्या है !
यदि सच में स्वाभिमान है
तो सीता बनो
प्रेम,त्याग,परीक्षा,कर्तव्य
... इनका अनुसरण करो
पर अति का विरोध करो !!